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नई दिल्ली, 26 मार्च 2025: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक विवादित टिप्पणी पर कड़ी फटकार लगाई और उस पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट का यह फैसला असंवेदनशील है और इससे न्यायिक प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठता है।
क्या है मामला?
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण मामले में टिप्पणी की थी, जिसे लेकर कई कानूनी विशेषज्ञों और समाज के विभिन्न वर्गों ने आपत्ति जताई थी। इस टिप्पणी को असंवेदनशील और गैर-जिम्मेदाराना माना गया, जिससे विवाद खड़ा हो गया।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की इस टिप्पणी को न्यायिक मर्यादा के खिलाफ बताया और कहा कि अदालतों को न्यायिक संतुलन बनाए रखना चाहिए। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा, "न्यायपालिका का काम निष्पक्षता और संवेदनशीलता के साथ फैसले देना है। किसी भी टिप्पणी से यदि समाज में गलत संदेश जाता है, तो उस पर रोक लगाई जानी चाहिए।"
आगे की कानूनी प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर आगे सुनवाई के लिए अगली तारीख तय कर दी है और संबंधित पक्षों से विस्तृत जवाब मांगा है। न्यायपालिका के इस हस्तक्षेप से यह स्पष्ट हो गया है कि अदालतें किसी भी असंवेदनशील या अनुचित टिप्पणी को स्वीकार नहीं करेंगी।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट के इस हस्तक्षेप से न्यायपालिका की निष्पक्षता और संवेदनशीलता पर फिर से जोर दिया गया है। यह फैसला बताता है कि अदालतों को न केवल कानून के अनुसार, बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से भी निर्णय लेने की आवश्यकता है।
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