छत्तीसगढ़ में ‘भ्रष्टाचार का महाकुंभ’? भूपेश बघेल पर ED की सबसे बड़ी चोट!
छत्तीसगढ़ की सियासत में भूचाल आ गया है! पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ताबड़तोड़ कार्रवाई से कांग्रेस बैकफुट पर नजर आ रही है। छत्तीसगढ़ में लंबे समय से शराब, कोयला, महादेव बेटिंग एप और सरकारी ठेकों से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोप हवा में तैर रहे थे, लेकिन अब जांच एजेंसियों की सक्रियता ने इन्हें ठोस शक्ल दे दी है।

रायपुर से दिल्ली तक हड़कंप! क्या सच में ‘भ्रष्टाचार का खेल’ बेनकाब हो रहा है?
छत्तीसगढ़ की सियासत में भूचाल आ गया है! पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ताबड़तोड़ कार्रवाई से कांग्रेस बैकफुट पर नजर आ रही है। छत्तीसगढ़ में लंबे समय से शराब, कोयला, महादेव बेटिंग एप और सरकारी ठेकों से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोप हवा में तैर रहे थे, लेकिन अब जांच एजेंसियों की सक्रियता ने इन्हें ठोस शक्ल दे दी है।
इस कार्रवाई की गूंज सिर्फ रायपुर में नहीं, बल्कि दिल्ली तक सुनाई दे रही है। कांग्रेस इसे राजनीतिक बदला बता रही है, तो बीजेपी ने इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा कदम करार दिया है। लेकिन असली सवाल यह है—क्या वाकई छत्तीसगढ़ में सत्ता के नाम पर लूट का एक बड़ा खेल चल रहा था?
भूपेश बघेल पर शिकंजा क्यों कसा? कौन-कौन से घोटाले हैं निशाने पर?
1️⃣ शराब घोटाला – ‘सरकारी दुकानें, लेकिन पैसा कहां गया?’
छत्तीसगढ़ के ₹2,161 करोड़ के शराब घोटाले ने पूरे सिस्टम की पोल खोल दी। सरकारी ठेकों से शराब बेची गई, लेकिन बिलिंग फर्जी, कंपनियां फर्जी और टैक्स चोरी करोड़ों में! आरोप है कि इस घोटाले से निकले पैसों का इस्तेमाल चुनावी फंडिंग और नेताओं की जेबें भरने के लिए किया गया।
अब सवाल उठता है—"छत्तीसगढ़ में शराब बेचने की कमाई सरकार को होनी थी, लेकिन यह पैसा आखिर किसकी तिजोरी में गया?"
2️⃣ कोयला घोटाला – ‘हर ट्रक पर कमीशनखोरी का खेल!’
ED की जांच में खुलासा हुआ है कि छत्तीसगढ़ में कोयला खनन और ट्रांसपोर्ट पर ₹25-₹50 प्रति टन ‘कमीशन’ वसूला गया। यह पैसा अधिकारियों, कारोबारियों और नेताओं तक पहुंचता रहा।
छत्तीसगढ़ के खदानों से निकला कोयला दिल्ली-मुंबई तक पहुंचा, लेकिन क्या इसमें भ्रष्टाचार का धुआं भी मिला हुआ था?
3️⃣ महादेव बेटिंग एप स्कैम – ‘ऑनलाइन सट्टा, ऑफलाइन हवाला!’
महादेव ऑनलाइन बेटिंग एप घोटाले ने छत्तीसगढ़ से लेकर दुबई तक तहलका मचा दिया! रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस एप के जरिए काले धन को सफेद करने का बड़ा खेल हुआ। हवाला नेटवर्क के जरिए पैसा विदेश भेजा गया और इसमें कई बड़े नेताओं और रसूखदारों के नाम सामने आ सकते हैं।
अब सवाल यह है—क्या यह पूरा खेल सिर्फ एक एप का था, या इसके पीछे कोई ‘सियासी महागिरोह’ काम कर रहा था?
4️⃣ सरकारी ठेके और जमीन घोटाला – ‘किसका है छत्तीसगढ़?’
सरकारी जमीनों को औने-पौने दामों में बेचा गया। सरकारी योजनाओं के नाम पर बड़े पैमाने पर घोटाले हुए और ठेके ऐसे बांटे गए, जैसे सरकार किसी की निजी कंपनी हो!
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ED इन सौदों की गहराई तक जाएगी और उन चेहरों को बेनकाब करेगी जो पर्दे के पीछे खेल खेल रहे थे?
भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल का नाम क्यों आया जांच के दायरे में?
इस बार सिर्फ भूपेश बघेल ही नहीं, बल्कि उनके बेटे चैतन्य बघेल का नाम भी ED की जांच में सामने आया है। आरोप है कि उनके बैंक खातों और संपत्तियों में ‘संदिग्ध लेनदेन’ के सबूत मिले हैं।
क्या यह सिर्फ एक संयोग है, या भूपेश बघेल परिवार के जरिए सत्ता और कारोबार के बीच कोई अघोषित गठबंधन था?
अब आगे क्या? छत्तीसगढ़ की राजनीति में बड़ा बदलाव आने वाला है?
✅ ED की जांच और तेज होगी!
– सूत्रों के मुताबिक, शराब घोटाले और महादेव बेटिंग स्कैम में कई और बड़े नाम जांच के घेरे में आ सकते हैं।
✅ कांग्रेस की रणनीति क्या होगी?
– कांग्रेस इस कार्रवाई को राजनीतिक साजिश बताकर 2024 के चुनावों में सहानुभूति लहर बनाने की कोशिश कर सकती है।
✅ क्या यह बघेल के राजनीतिक करियर का सबसे बड़ा झटका होगा?
– अगर जांच में आरोप साबित होते हैं, तो भूपेश बघेल की सियासी जमीन पूरी तरह हिल सकती है!
✅ क्या ED की कार्रवाई से बीजेपी को फायदा होगा?
– बीजेपी इसे ‘भ्रष्टाचार बनाम ईमानदारी’ का मुद्दा बनाकर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को बैकफुट पर ला सकती है।
‘चोरी ऊपर से सीनाजोरी’ या सच में ‘राजनीतिक बदला’? जनता का फैसला क्या होगा?
🔴 भूपेश बघेल का बयान:
"ED राजनीतिक दबाव में काम कर रही है। जब चुनाव आते हैं, तब ही छापे पड़ते हैं।"
🔵 बीजेपी का पलटवार:
"ED ने अभी सिर्फ ट्रेलर दिखाया है, पूरी फिल्म बाकी है। घोटालों का सच जल्द सामने आएगा!"
भूपेश बघेल का हाथ दबाने की ताकत किसी में नहीं है. pic.twitter.com/4BvPNbSYRC — Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) March 10, 2025
🔥 अब असली सवाल—
क्या ED छत्तीसगढ़ के घोटालों का असली चेहरा सामने लाएगी, या यह सिर्फ राजनीतिक दांव-पेंच का हिस्सा है?
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