Chief Justice of the Supreme Court's remarks sparked सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की टिप्पणी पर हिंदू समाज में आक्रोश, सोशल मीडिया पर उठी तीखी प्रतिक्रियाएँ

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की टिप्पणी पर हिंदू समाज में आक्रोश, सोशल मीडिया पर उठी तीखी प्रतिक्रियाएँ

Sep 19, 2025 - 13:09
Sep 19, 2025 - 13:11
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Chief Justice of the Supreme Court's remarks sparked  सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की टिप्पणी पर हिंदू समाज में आक्रोश, सोशल मीडिया पर उठी तीखी प्रतिक्रियाएँ

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की टिप्पणी पर हिंदू समाज में आक्रोश, सोशल मीडिया पर उठी तीखी प्रतिक्रियाएँ

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के बी आर गवाई ने विष्णु भगवान की मूर्ति को लेकर दिए गए कथित बयान ने हिंदू समाज में गहरी नाराजगी पैदा कर दी है। देशभर में इस मुद्दे को लेकर चर्चाएँ तेज हो गई हैं और विभिन्न हिंदू संगठनों ने इसे हिंदू आस्था पर प्रहार बताया है। सोशल मीडिया पर इस विषय को लेकर व्यापक विरोध सामने आ रहा है, जहां हजारों यूजर्स अपनी नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं।

हिंदू समाज का मानना है कि यदि देश की सर्वोच्च अदालत का प्रमुख ही देवी-देवताओं को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करता है तो यह स्थिति बेहद गंभीर है। लोग इसे वामपंथी और कट्टरपंथी सोच से जोड़कर देख रहे हैं। कई लोगों का कहना है कि यह प्रवृत्ति धीरे-धीरे समाज में ज़हर घोल रही है और हिंदू आस्थाओं को कमजोर करने का प्रयास है।

राजनीतिक पृष्ठभूमि और आरोप

इस विवाद को लेकर राजनीतिक चर्चाएँ भी गर्म हैं। हिंदू समाज का एक बड़ा वर्ग मानता है कि कांग्रेस पार्टी और विशेषकर उसके पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी लंबे समय से हिंदू समाज को जातिगत आधार पर विभाजित करने की राजनीति कर रहे हैं। आरोप है कि जातिवाद का माहौल बनाकर अल्पसंख्यक समाज को इसका लाभ दिलाने की कोशिश की जा रही है।

साल 2013 तक कांग्रेस सरकार द्वारा भगवान श्रीराम और अन्य हिंदू देवी-देवताओं को ‘काल्पनिक’ करार देने जैसे बयानों को लोग आज भी याद कर रहे हैं। इन घटनाओं को आधार बनाकर समाज के भीतर यह धारणा गहराई है कि कांग्रेस और उससे जुड़े नेता सुनियोजित तरीके से हिंदू आस्थाओं को चोट पहुँचाते रहे हैं।

धर्मांतरण का मुद्दा

विरोध जताने वाले संगठनों ने यह भी कहा है कि देशभर में लगातार धर्मांतरण की घटनाएँ सामने आ रही हैं। चाहे वह मुस्लिम समाज से जुड़ा हो या ईसाई मिशनरियों से—हिंदू समाज को तोड़ने और कमजोर करने की साजिश लगातार चल रही है। इस पर रोक लगाने के बजाय राजनीतिक दल वोटबैंक की राजनीति में उलझे हुए हैं।

हिंदू संगठनों का आरोप है कि बड़े पदों पर बैठे लोग, चाहे वे राजनेता हों या संवैधानिक पदाधिकारी, बार-बार हिंदू समाज को ही निशाना बनाते हैं। यदि यह स्थिति जारी रही तो आने वाले समय में हिंदू समाज अपने अस्तित्व के संकट का सामना करेगा।

संत समाज की चुप्पी पर सवाल

इस पूरे विवाद में हिंदू समाज का एक बड़ा तबका संत-महात्माओं और शंकराचार्यों की चुप्पी पर भी सवाल उठा रहा है। उनका कहना है कि जब भी हिंदू आस्था पर सवाल खड़े होते हैं, तब बड़े धार्मिक नेता सामने आकर सशक्त प्रतिक्रिया नहीं देते। यही वजह है कि अन्य धर्मों के लोग लगातार हिंदू मान्यताओं पर प्रहार करने का साहस कर पाते हैं।

सोशल मीडिया पर गुस्सा

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इस मुद्दे को लेकर जबरदस्त आक्रोश देखा जा रहा है। #RespectHinduFaith और #CJIApologize जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। हजारों लोग लगातार यह मांग कर रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को इस बयान पर सफाई देनी चाहिए या माफी माँगनी चाहिए।

आगे की राह

इस विवाद ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या भारत जैसे विविधता वाले देश में किसी भी धर्म की आस्था पर टिप्पणी करना उचित है। हिंदू संगठनों का कहना है कि न्यायपालिका जैसे सर्वोच्च संस्थान से इस तरह की टिप्पणी आने से लोगों का विश्वास डगमगा सकता है। वहीं, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद आने वाले चुनावों में भी बड़ा मुद्दा बन सकता है।

कुल मिलाकर, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की टिप्पणी ने एक नई बहस छेड़ दी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में अदालत या सरकार इस पर कोई स्पष्टीकरण देती है या मामला धीरे-धीरे शांत हो जाता है।

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