After ED, now EOW arrests former CM's son शराब घोटाला: ईडी के बाद अब ईओडब्ल्यू ने पूर्व सीएम के बेटे चैतन्य को किया गिरफ्तार
शराब घोटाला: ईडी के बाद अब ईओडब्ल्यू ने पूर्व सीएम के बेटे चैतन्य को किया गिरफ्तार

शराब घोटाला: ईडी के बाद अब ईओडब्ल्यू ने पूर्व सीएम के बेटे चैतन्य को किया गिरफ्तार
3200 करोड़ के घोटाले में 6 अक्टूबर तक रिमांड पर, कोर्ट ने बचाव पक्ष की दलीलें ठुकराईं
रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 3200 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई के बाद अब आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को गिरफ्तार कर लिया है। बुधवार को उन्हें विशेष अदालत में पेश किया गया, जहां ईओडब्ल्यू ने 14 दिन की रिमांड की मांग रखी। बचाव पक्ष ने इसका विरोध करते हुए कहा कि गिरफ्तारी अवैध और अनावश्यक है। हालांकि, दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने चैतन्य को 6 अक्टूबर तक रिमांड पर भेजने का आदेश दिया।
रिमांड पर दीपक चावड़ा भी, अन्य आरोपी पहले से कस्टडी में
चैतन्य बघेल के साथ-साथ अमन भनक के मैनेजर दीपक चावड़ा को भी ईओडब्ल्यू ने गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया। उन्हें 29 सितंबर तक रिमांड पर भेजा गया है। इससे पहले इस मामले में रिटायर्ड आईएएस निरंजन दास, कारोबारी अजीत पुरी और अरुण पुरी पहले से ही ईओडब्ल्यू की रिमांड में हैं। एजेंसी का कहना है कि अब सभी आरोपियों को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की जाएगी, ताकि पूरे नेटवर्क की कड़ियां खोली जा सकें।
कैसे हुआ था 3200 करोड़ का घोटाला
ईओडब्ल्यू की जांच रिपोर्ट के मुताबिक, यह घोटाला जनवरी 2019 से फरवरी 2020 तक चलता रहा। उस दौरान अवैध शराब का एक बड़ा नेटवर्क पूरे राज्य में सक्रिय था। इस नेटवर्क में कई वरिष्ठ नौकरशाह, पुलिस अधिकारी और प्रशासनिक अफसर शामिल थे। बताया जा रहा है कि इस अवैध कारोबार से कमाई गई रकम हवाला चैनलों के जरिए देश के बाहर भेजी जाती थी।
ईओडब्ल्यू का आरोप है कि शराब घोटाले से जुड़ा पैसा सीधे अमन भनक के पास आता था। वहां से यह रकम नेताओं, मंत्रियों और पार्टी फंड तक पहुंचाई जाती थी। जांच एजेंसियों के अनुसार, इस नेटवर्क से जुड़े सभी लोगों ने मिलकर करोड़ों रुपये का अवैध लेन-देन किया। इसी सिलसिले में चैतन्य बघेल की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है। एजेंसी का कहना है कि चैतन्य न केवल इस नेटवर्क का हिस्सा थे, बल्कि पैसों के लेन-देन में भी उनकी सक्रिय भागीदारी थी।
हवाला के जरिए बाहर भेजा गया पैसा
ईओडब्ल्यू का दावा है कि इस नेटवर्क से होने वाली भारी-भरकम कमाई को सिर्फ राज्य में ही नहीं रखा गया, बल्कि उसे हवाला और अन्य गैरकानूनी चैनलों के जरिए विदेशों तक पहुंचाया गया। इस पूरे मामले की कड़ियां धीरे-धीरे खुल रही हैं। जांच अधिकारियों के मुताबिक, अब रिमांड पर लिए गए आरोपियों से पूछताछ के बाद कई और नाम सामने आ सकते हैं।
चैतन्य की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज
इधर, हाईकोर्ट ने चैतन्य बघेल की अग्रिम जमानत याचिका को भी खारिज कर दिया है। गिरफ्तारी से बचने के लिए चैतन्य ने यह याचिका दायर की थी। जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल की बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फिलहाल आदेश सुरक्षित रख लिया है। जल्द ही कोर्ट इस पर अंतिम फैसला सुनाएगा।
बचाव पक्ष का कहना है कि चैतन्य की गिरफ्तारी राजनीतिक प्रतिशोध की वजह से की जा रही है और इस मामले में उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है। वहीं ईओडब्ल्यू ने इसे गंभीर अपराध बताते हुए गिरफ्तारी को पूरी तरह सही ठहराया है।
आगे की रणनीति
ईओडब्ल्यू की योजना है कि चैतन्य बघेल और अन्य आरोपियों से लंबी पूछताछ की जाए। एजेंसी का मानना है कि आमने-सामने पूछताछ के दौरान कई अहम जानकारियां निकलेंगी, जिससे पूरे घोटाले की परतें खुल सकेंगी। साथ ही, हवाला नेटवर्क और विदेशों में भेजे गए पैसों के सुराग भी तलाशे जाएंगे।
राजनीतिक सरगर्मी तेज
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे की गिरफ्तारी के बाद राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। विपक्ष इस कार्रवाई को सरकार की विफलता से जोड़कर देख रहा है, जबकि सत्ता पक्ष का कहना है कि कानून अपना काम कर रहा है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
नतीजा
चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी ने शराब घोटाले की जांच को एक नया मोड़ दे दिया है। 6 अक्टूबर तक की रिमांड में एजेंसी उनसे और भी कई राज उगलवाने की कोशिश करेगी। अब देखना होगा कि इस पूछताछ में कौन-कौन से नए नाम सामने आते हैं और यह मामला किस दिशा में आगे बढ़ता है।
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