Allegations of corruption in Chhattisgarh State Pharmacy छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी काउंसिल में भ्रष्टाचार का आरोप, स्वास्थ्य सचिव ने दिए जांच के आदेश
छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी काउंसिल में भ्रष्टाचार का आरोप, स्वास्थ्य सचिव ने दिए जांच के आदेश

छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी काउंसिल में भ्रष्टाचार का आरोप, स्वास्थ्य सचिव ने दिए जांच के आदेश
रायपुर। छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी काउंसिल एक बार फिर गंभीर आरोपों के घेरे में आ गई है। काउंसिल के उच्च पदाधिकारियों के संरक्षण में चुनिंदा कर्मचारियों द्वारा सामूहिक भ्रष्टाचार किए जाने की शिकायतें सामने आई हैं। इन शिकायतों में नियम विरुद्ध वित्तीय लेनदेन, पंजीयन प्रक्रिया में रिश्वतखोरी और शैक्षणिक दस्तावेजों की अनदेखी जैसे गंभीर मुद्दे शामिल हैं।
शपथ पत्र में लगाए गए आरोप
पिछले माह बिलासपुर के एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट ने शपथ पत्र के माध्यम से स्वास्थ्य प्रशासन को शिकायत सौंपी। शिकायतकर्ता का कहना है कि उसने फार्मेसी काउंसिल में पंजीयन के लिए अपने सभी शैक्षणिक प्रमाण पत्र और आवश्यक दस्तावेज जमा किए थे। कागजात सही होने के बावजूद काउंसिल के कर्मचारियों ने उससे रिश्वत की मांग की।
फार्मासिस्ट ने आरोप लगाया है कि काउंसिल के रजिस्ट्रार अश्विनी गुरडेकर, कर्मचारी अनिरुद्ध मिश्रा और महावीर सिंह ने उससे रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी करने के लिए 5,000 रुपये की मांग की। जब शिकायतकर्ता ने तत्काल नकद उपलब्ध न होने की बात कही, तो कर्मचारी अनिरुद्ध मिश्रा उसे नजदीकी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के एटीएम ले गया और वहीं से 5,000 रुपये निकलवाकर रिश्वत के रूप में वसूल लिए।
स्वास्थ्य सचिव तक पहुंची शिकायत
शिकायत सीधे स्वास्थ्य सचिव अमित कटारिया तक पहुंचाई गई। सचिव ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत संज्ञान लिया और फार्मेसी काउंसिल में हो रहे भ्रष्टाचार की जांच के आदेश दिए।
सूत्रों के अनुसार, स्वास्थ्य सचिव ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि पंजीयन प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए और किसी भी आवेदक से अवैध वसूली बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
वित्तीय लेनदेन पर भी सवाल
केवल रिश्वतखोरी ही नहीं, बल्कि काउंसिल के वित्तीय लेनदेन को लेकर भी गंभीर आपत्तियां उठी हैं। काउंसिल के कई सदस्यों ने संयुक्त रूप से हस्ताक्षरित पत्र भेजकर स्वास्थ्य सचिव को सूचित किया है कि वित्तीय भ्रष्टाचार चरम पर है। सदस्यों का आरोप है कि काउंसिल की आय और व्यय का कोई पारदर्शी रिकॉर्ड नहीं रखा जा रहा और कई मामलों में नियम विरुद्ध भुगतान किए जा रहे हैं।
इन आरोपों के आधार पर स्वास्थ्य सचिव ने फार्मेसी काउंसिल के समस्त वित्तीय लेनदेन की जांच के लिए एक विशेष कमेटी गठित करने का आदेश जारी किया है।
कमेटी करेगी जांच
आदेश के अनुसार, गठित समिति काउंसिल में पिछले कई वर्षों से चल रहे वित्तीय लेनदेन और पंजीयन प्रक्रिया की बारीकी से जांच करेगी। समिति को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह यह पता लगाए कि आवेदकों से अवैध वसूली किस स्तर तक की जा रही है और इसके लिए कौन-कौन जिम्मेदार हैं।
लगातार बढ़ रही शिकायतें
यह पहली बार नहीं है जब छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी काउंसिल पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हों। इससे पहले भी पंजीयन प्रक्रिया में देरी, दस्तावेजों की अनदेखी और वित्तीय अनियमितताओं की शिकायतें सामने आती रही हैं। फार्मेसी काउंसिल में कार्यरत कुछ कर्मचारियों पर लंबे समय से मिलीभगत और धन उगाही के आरोप लगते रहे हैं।
फार्मेसी से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि यह संस्था सीधे तौर पर प्रदेश के दवा वितरण और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता से जुड़ी है। ऐसे में इस तरह का भ्रष्टाचार प्रदेश की संपूर्ण स्वास्थ्य व्यवस्था को प्रभावित कर सकता है।
पारदर्शिता की मांग
फार्मासिस्ट संघ और स्वास्थ्य से जुड़े संगठनों ने सरकार से मांग की है कि जांच निष्पक्ष और कड़ी कार्रवाई वाली होनी चाहिए। उनका कहना है कि यदि दोषियों पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो यह भ्रष्टाचार आगे भी जारी रहेगा और फार्मेसी काउंसिल की साख पूरी तरह धूमिल हो जाएगी।
मायने
छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी काउंसिल में भ्रष्टाचार के आरोपों ने प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्वास्थ्य सचिव द्वारा त्वरित संज्ञान लेते हुए जांच कमेटी गठित करना एक सकारात्मक कदम है, लेकिन अब सबकी नजर इस बात पर टिकी है कि जांच रिपोर्ट कब सामने आती है और दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है।
यदि यह आरोप सही साबित होते हैं, तो यह न केवल काउंसिल की कार्यप्रणाली बल्कि प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर भी गहरा आघात होगा।
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