मध्य प्रदेश – शनिवार रात मऊगंज जिले के गड़रा गांव में उस वक्त अफरा-तफरी मच गई जब पुलिस टीम पर उग्र भीड़ ने हमला कर दिया। लाठी-डंडों और पत्थरों से हुए इस हमले में एसएएफ के एएसआई रामगोविंद गौतम की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि तहसीलदार और कई पुलिस अधिकारी गंभीर रूप से घायल हो गए।
कैसे भड़की हिंसा?
इस खौफनाक घटना की जड़ें दो महीने पहले हुए एक सड़क हादसे से जुड़ी हैं। इस हादसे में अशोक कुमार आदिवासी की मौत हो गई थी, लेकिन परिवार ने इसे हत्या करार दिया और सनी द्विवेदी पर आरोप लगाए। शनिवार को गुस्साए परिजनों ने सनी द्विवेदी को घर से खींचकर बेरहमी से पीटा, जिससे उसकी मौत हो गई। पुलिस जब उसे बचाने पहुंची, तो ग्रामीणों ने अचानक हमला बोल दिया। चारों ओर से बरसते लाठी-डंडों और पत्थरों के बीच पुलिसकर्मियों की जान बचाना मुश्किल हो गया। मौके पर मचा कोहराम गांव में भगदड़ जैसी स्थिति बन गई। एएसआई रामगोविंद गौतम भीड़ की हिंसा का शिकार हो गए और उनकी मौके पर ही मौत हो गई। तहसीलदार पानिका, थाना प्रभारी संदीप भारती और अन्य पुलिसकर्मी भी बुरी तरह घायल हो गए। इलाके में तनाव, भारी पुलिस बल तैनात घायलों को प्राथमिक उपचार के बाद रीवा के संजय गांधी अस्पताल रेफर किया गया। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए गांव में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।
पुलिस का ऐलान –
नहीं बख्शे जाएंगे गुनहगार! रीवा संभाग के डीआईजी ने इस बर्बर हमले की कड़ी निंदा की और दोषियों को जल्द पकड़ने का भरोसा दिलाया। डीजीपी कैलाश मकवाना ने मृतक एएसआई को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, "हमले के जिम्मेदार किसी भी हाल में बच नहीं पाएंगे।" अब क्या होगा? पुलिस ने अज्ञात हमलावरों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है और गांव में सर्च ऑपरेशन जारी है। प्रशासन हर हाल में शांति बहाल करने के प्रयास में जुटा है, लेकिन इस खून से सनी रात ने पूरे इलाके को दहशत में डाल दिया है।
चश्मदीदों ने क्या कहा?
गांव के एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया, "यह सब अचानक हुआ। लोग पहले से गुस्से में थे, और जब पुलिस आई, तो मामला पूरी तरह बेकाबू हो गया।"
एक अन्य चश्मदीद के मुताबिक, "पुलिस गांव वालों को समझाने आई थी, लेकिन कुछ लोगों ने पहले से ही हमला करने की योजना बना रखी थी। एएसआई गौतम की हत्या बहुत दर्दनाक थी।"
प्रशासन की कार्रवाई और राजनीतिक प्रतिक्रिया
घायलों का इलाज और सुरक्षा के इंतजाम घटना के बाद घायलों को पहले मऊगंज अस्पताल ले जाया गया, लेकिन गंभीर हालत को देखते हुए उन्हें रीवा के संजय गांधी अस्पताल रेफर कर दिया गया।
मौके पर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है और गांव में धारा 144 लागू कर दी गई है ताकि कोई और हिंसा न हो।