A-2005-batch-bureaucratic-cabal-in-Chhattisgarh छत्तीसगढ़ में 2005 बैच का अफसरशाही गिरोह? भाजपा सरकार पर संकट गहराया

छत्तीसगढ़ में 2005 बैच का अफसरशाही गिरोह? भाजपा सरकार पर संकट गहराया

Sep 20, 2025 - 11:34
Sep 20, 2025 - 12:04
 0
A-2005-batch-bureaucratic-cabal-in-Chhattisgarh छत्तीसगढ़ में 2005 बैच का अफसरशाही गिरोह? भाजपा सरकार पर संकट गहराया

छत्तीसगढ़ में 2005 बैच का अफसरशाही गिरोह? भाजपा सरकार पर संकट गहराया

रायपुर। छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार को बने लगभग दो साल पूरे होने को हैं। लेकिन इस बीच सत्ता के गलियारों से जो सूचनाएं बाहर आ रही हैं, वे भाजपा संगठन और कार्यकर्ताओं के बीच गहरी नाराजगी का कारण बन रही हैं। चर्चा यह है कि राज्य की पूरी सत्ता व्यवस्था 2005 बैच के आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के एक मजबूत “गिरोह” ने हाईजैक कर ली है। आरोप है कि ये वही अधिकारी हैं, जिन्होंने कांग्रेस सरकार में भी भ्रष्टाचार की जड़ें जमाई थीं और अब भाजपा सरकार में भी अपनी पकड़ मजबूत कर चुके हैं।

2005 बैच की पकड़ और ओपी चौधरी की भूमिका

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सरकार में 2005 बैच के आईएएस और आईपीएस अधिकारियों का वर्चस्व तेजी से बढ़ा है। सूत्रों के मुताबिक, वित्त मंत्री ओपी चौधरी, जो खुद 2005 बैच के आईएएस रह चुके हैं, ने सरकार बनने के बाद अपने बैच के अधिकारियों को अहम पदों पर तैनात करा दिया। इनमें राहुल भगत से लेकर पी. दयानंद तक कई अधिकारी शामिल बताए जाते हैं। वहीं आईपीएस अफसरों में आरिफ शेख से लेकर अमरेश मिश्रा तक कई नाम प्रमुखता से लिए जा रहे हैं।

कहा जा रहा है कि इन अधिकारियों ने मुख्यमंत्री के सचिवालय तक पर नियंत्रण बना लिया है। यहां तक कि मुख्यमंत्री के प्रिंसिपल सेक्रेटरी सुबोध सिंह भी इस “गिरोह” के सामने खुद को मजबूत नहीं कर पा रहे हैं। संगठन और नेताओं की बात मुख्यमंत्री तक पहुंचने से पहले ही इन अधिकारियों के बनाए नैरेटिव में दब जाती है।

भाजपा कार्यकर्ताओं में गहरी नाराजगी

भाजपा कार्यकर्ता, जिन्होंने राज्य में पार्टी को सत्ता दिलाने के लिए जमीन पर कड़ी मेहनत की थी, अब खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। कार्यकर्ताओं का कहना है कि जब वे किसी काम को लेकर मुख्यमंत्री निवास तक जाते हैं, तो यह 2005 बैच के अफसर “चट्टानी दीवार” बनकर खड़े हो जाते हैं। नतीजतन, संगठन और कार्यकर्ताओं की कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

भाजपा संगठन हमेशा से पार्टी की रीढ़ माना जाता है, लेकिन मौजूदा हालात में संगठन भी हाशिये पर नजर आ रहा है। वरिष्ठ नेताओं तक नाराजगी की खबरें लगातार पहुंच रही हैं।

कांग्रेस से पुराने रिश्ते और भ्रष्टाचार के आरोप

राजनीतिक गलियारों में यह भी कहा जा रहा है कि यह 2005 बैच का नेटवर्क कांग्रेस पार्टी के लिए काम कर रहा है। आरोप है कि यह समूह अंदरखाने ऐसा माहौल बना रहा है जिससे 2028 में कांग्रेस की सत्ता में वापसी का रास्ता तैयार हो सके।

इन अधिकारियों पर यह भी आरोप है कि पूर्ववर्ती भूपेश बघेल सरकार के दौरान इन्होंने कई बड़े भ्रष्टाचारों में सक्रिय भूमिका निभाई थी। यही कारण है कि भाजपा के कार्यकर्ता और नेता इन अधिकारियों को “कांग्रेस समर्थक” मानते हैं।

शराब घोटाले पर कार्रवाई में ढिलाई

इस बीच, छत्तीसगढ़ में चर्चित शराब घोटाले ने भी भाजपा सरकार को घेरा है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को गिरफ्तार किया था। ईडी ने कोर्ट में पुख्ता इलेक्ट्रॉनिक सबूत भी पेश किए। लेकिन एंटी करप्शन ब्यूरो (EOW) और एसीबी की कार्रवाई ठंडी पड़ गई है।

सूत्रों का दावा है कि एसीबी-ईओडब्ल्यू के मुखिया पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी माने जाते हैं। यही वजह है कि अब चैतन्य बघेल ने हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी लगा दी है। अगर उन्हें जमानत मिल जाती है, तो इसे भाजपा सरकार की बड़ी विफलता माना जाएगा।

नरेश गुप्ता और प्रतीक पांडे के आरोप

भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता नरेश गुप्ता ने इस पूरे मामले की शिकायत पार्टी के शीर्ष नेताओं और पीएमओ तक पहुंचाई है। उन्होंने साफ कहा है कि भाजपा सरकार में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है और कांग्रेस सरकार के समय सक्रिय रहे भ्रष्टाचारी अफसर ही अब मुख्यमंत्री के चारों ओर घेरा बनाकर बैठे हैं।

वहीं, सोशल मीडिया पर फेसबुक लाइव के जरिए प्रतीक पांडे ने भी वित्त मंत्री ओपी चौधरी और 2005 बैच के अफसरों पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि अगर भाजपा सरकार का पतन होता है तो इसकी जिम्मेदारी पूरी तरह ओपी चौधरी पर होगी, क्योंकि उन्होंने अपने बैच के अफसरों का एक “भ्रष्ट गिरोह” खड़ा कर दिया है।

2028 का चुनावी खतरा

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर मौजूदा हालात पर भाजपा नेतृत्व ने संज्ञान नहीं लिया, तो 2028 का विधानसभा चुनाव पार्टी के लिए बेहद कठिन साबित हो सकता है। पिछली बार भाजपा को 14 सीटें मिली थीं, जिससे पार्टी ने कुछ हद तक अपनी साख बचा ली थी। लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में पांच सीटें लाना भी मुश्किल बताया जा रहा है।

प्रदेश में बेरोजगारी, अपराध और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे पहले से ही सरकार के लिए चुनौती बने हुए हैं। अब अफसरशाही पर नियंत्रण की कमी और संगठन की उपेक्षा भाजपा की मुश्किलें और बढ़ा रही हैं।

नतीजा

दो साल पूरे करने जा रही विष्णु देव साय सरकार के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या वह सचमुच प्रशासन पर पकड़ बना पाएगी या फिर 2005 बैच का यह कथित “गिरोह” भाजपा की जड़ों को कमजोर करता रहेगा। भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं की बढ़ती नाराजगी साफ संकेत दे रही है कि अगर हालात नहीं बदले, तो आने वाले समय में छत्तीसगढ़ से भाजपा का सफाया होना तय है।

What's Your Reaction?

Like Like 7
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 1
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 1