Chaitanya Baghel's anticipatory bail plea rejected, चैतन्य बघेल की अग्रिम जमानत याचिका खारिज, अब ईओडब्ल्यू कर सकती है रिमांड की कार्रवाई
चैतन्य बघेल की अग्रिम जमानत याचिका खारिज, अब ईओडब्ल्यू कर सकती है रिमांड की कार्रवाई

चैतन्य बघेल की अग्रिम जमानत याचिका खारिज, अब ईओडब्ल्यू कर सकती है रिमांड की कार्रवाई
रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को अदालत से बड़ा झटका लगा है। सोमवार को अदालत ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। इसके बाद माना जा रहा है कि आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) अब चैतन्य बघेल को जल्द ही रिमांड पर ले सकता है।
क्या है पूरा मामला?
राज्य के चर्चित शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) और ईओडब्ल्यू दोनों जांच एजेंसियाँ सक्रिय हैं। इस घोटाले में करोड़ों रुपए की अवैध वसूली, कमीशन और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं। जांच एजेंसियों का दावा है कि पूरे घोटाले का एक संगठित नेटवर्क था, जिसमें सरकारी अधिकारियों से लेकर राजनीतिक संरक्षण तक की भूमिका सामने आई।
18 जुलाई 2025 को ईडी ने चैतन्य बघेल को गिरफ्तार किया था। तभी से वे रायपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं। ईडी ने गिरफ्तारी के बाद उन पर आरोपपत्र (चालान) भी दाखिल किया है।
ईओडब्ल्यू की सक्रियता
इधर ईओडब्ल्यू ने भी अदालत में प्रोडक्शन रिमांड की अर्जी दाखिल की थी, ताकि चैतन्य बघेल से सीधे पूछताछ की जा सके। लेकिन अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई लंबित रहने की वजह से अदालत ने फिलहाल उस अर्जी पर रोक लगा दी थी। अब जमानत याचिका खारिज होने के बाद एजेंसी को रिमांड की राह आसान होती दिख रही है। सूत्रों के अनुसार, ईओडब्ल्यू अगले कुछ दिनों में अदालत से अनुमति लेकर चैतन्य बघेल को रिमांड पर ले सकती है।
कानूनी पेंच और बचाव पक्ष की दलीलें
चैतन्य बघेल के वकीलों ने अग्रिम जमानत याचिका में तर्क दिया था कि उनके मुवक्किल के खिलाफ आरोप राजनीतिक द्वेष से प्रेरित हैं। उनका कहना था कि चैतन्य का सीधे तौर पर किसी अवैध लेन-देन से कोई संबंध नहीं है और जांच एजेंसियाँ केवल राजनीतिक दबाव में कार्रवाई कर रही हैं।
हालाँकि, अदालत ने इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि मामले में गहन पूछताछ की आवश्यकता है और अभी जमानत देना उचित नहीं होगा।
राजनीतिक हलचल
इस फैसले से छत्तीसगढ़ की सियासत में हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस ने इसे बदले की राजनीति करार दिया है। पार्टी नेताओं का कहना है कि भाजपा सरकार सत्ता का दुरुपयोग कर पूर्व मुख्यमंत्री के परिवार को निशाना बना रही है।
वहीं, भाजपा नेताओं का कहना है कि कानून अपना काम कर रहा है और दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। उनका दावा है कि शराब घोटाला छत्तीसगढ़ का अब तक का सबसे बड़ा आर्थिक घोटाला है, जिसमें करोड़ों रुपए का खेल हुआ है।
आगे की स्थिति
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि अब चैतन्य बघेल के लिए कानूनी राह कठिन होती जा रही है। यदि ईओडब्ल्यू को रिमांड मिल जाती है, तो उनसे और गहन पूछताछ होगी और इससे मामले में नए खुलासे भी हो सकते हैं। दूसरी ओर, बचाव पक्ष उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में है।
मायने
चैतन्य बघेल की अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद अब इस बहुचर्चित मामले में नए मोड़ आने तय हैं। ईडी और ईओडब्ल्यू दोनों की कार्रवाई से यह साफ हो गया है कि आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ की राजनीति और भी गरमा सकती है।
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