Hardcore Naxal Commander दिनेश मोड़ियाम का आत्मसमर्पण: नक्सल संगठन आदिवासियों को गुलाम बनाना चाहता है

जिस नक्सल संगठन को आदिवासियों का रक्षक कहा जाता था, उसी के खिलाफ अब उसके ही बड़े नेता बगावत करने लगे हैं। सरेंडर के बाद दिनेश मोड़ियाम ने एक-एक कर नक्सली संगठनों की सच्चाई को उजागर किया।

Mar 15, 2025 - 12:35
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Hardcore Naxal Commander दिनेश मोड़ियाम का आत्मसमर्पण: नक्सल संगठन आदिवासियों को गुलाम बनाना चाहता है

बस्तर | कभी जंगलों में खूनी खेल का सरगना रहे हार्डकोर नक्सली कमांडर दिनेश मोड़ियाम ने अब अपने ही संगठन की सच्चाई को दुनिया के सामने रख दिया है। 100 से ज्यादा जवानों की हत्या में शामिल इस खूंखार नक्सली ने आत्मसमर्पण कर लिया है और साफ कहा है –
👉 "हिंसा का रास्ता गलत है, नक्सल संगठन सिर्फ आदिवासियों को गुलाम बनाना चाहता है।"

दिनेश का यह कदम नक्सली संगठन के अंत की दस्तक है या फिर आदिवासियों के लिए नई रोशनी की शुरुआत?


🔥 ‘नक्सल संगठन का असली चेहरा’ – दिनेश मोड़ियाम की गवाही

जिस नक्सल संगठन को आदिवासियों का रक्षक कहा जाता था, उसी के खिलाफ अब उसके ही बड़े नेता बगावत करने लगे हैं।
सरेंडर के बाद दिनेश मोड़ियाम ने एक-एक कर नक्सली संगठनों की सच्चाई को उजागर किया।

🔴 झूठे सपनों का जाल: "हमें कहा गया था कि हम आदिवासियों के लिए लड़ रहे हैं, लेकिन हकीकत में नक्सली नेताओं का एजेंडा सिर्फ पैसा और सत्ता है।"

🔴 जबर्दस्ती की भर्ती: "बंदूक के दम पर आदिवासियों को संगठन में घसीटा जाता है, जो मना करे, उसे मार दिया जाता है।"

🔴 टैक्स के नाम पर उगाही: "नक्सली ठेकेदारों से मोटी रकम वसूलते हैं, लेकिन छोटे कैडर भूख और बीमारी से मरते रहते हैं।"

🔴 विकास का सबसे बड़ा दुश्मन: "अगर कोई गांव का आदमी सड़क, स्कूल या अस्पताल की बात करता है, तो उसे पुलिस का मुखबिर बताकर मार दिया जाता है।"

"मैं भी भटक चुका था," दिनेश ने कबूल किया। "अब समझ आ गया है कि नक्सली आंदोलन सिर्फ खून बहाने का खेल है, इसमें जनता का भला कभी नहीं होगा।"


"जल-जंगल-जमीन का झूठा नारा – नक्सली आदिवासियों को ही लूट रहे हैं"

दिनेश मोड़ियाम ने कहा कि नक्सल संगठन हमेशा "जल-जंगल-जमीन" की रक्षा की बात करता है, लेकिन हकीकत यह है कि वे खुद ही आदिवासियों का शोषण कर रहे हैं।

🚨 "नक्सली भाई को भाई के खिलाफ खड़ा कर रहे हैं। वे रोजगार, शिक्षा और विकास के सबसे बड़े दुश्मन बन चुके हैं। अगर कोई आदिवासी अपने गांव के लिए बिजली, पुल, सड़क या स्कूल मांगता है, तो उसे तुरंत मार दिया जाता है।"


"2026 तक छत्तीसगढ़ होगा नक्सल मुक्त?"

दिनेश का आत्मसमर्पण इस बात का संकेत है कि अब नक्सली संगठन का अंत करीब है। छत्तीसगढ़ सरकार पहले ही 2026 तक पूरे राज्य को नक्सल मुक्त करने का लक्ष्य घोषित कर चुकी है।

सरकार की पुनर्वास योजना के तहत अब सैकड़ों नक्सली हथियार छोड़कर मुख्यधारा में लौट रहे हैं।

💬 "जो नक्सली अभी भी जंगलों में छिपे हैं, वे भी जल्द ही समझ जाएंगे कि बंदूक से कुछ नहीं बदलता," दिनेश ने कहा।

अब सवाल यह है –
जो कभी बंदूक उठाकर खून बहा रहे थे, वे अब शांति का संदेश दे रहे हैं – क्या यह नक्सल आंदोलन की आखिरी सांसें हैं? 🚩

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