तमिलनाडु सरकार के बजट में '₹' की जगह 'ரூ' का इस्तेमाल, सियासी घमासान तेज

तमिलनाडु सरकार ने अपने वित्तीय बजट 2025-26 में भारतीय मुद्रा प्रतीक '₹' को हटाकर तमिल लिपि में लिखे 'ரூ' (रु) को अपनाने का फैसला किया है। इस निर्णय के बाद राज्य की राजनीति में घमासान मच गया है।

Mar 13, 2025 - 15:19
Mar 13, 2025 - 16:21
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तमिलनाडु सरकार के बजट में '₹' की जगह 'ரூ' का इस्तेमाल, सियासी घमासान तेज

चेन्नई: तमिलनाडु सरकार ने अपने वित्तीय बजट 2025-26 में भारतीय मुद्रा प्रतीक '₹' को हटाकर तमिल लिपि में लिखे 'ரூ' (रु) को अपनाने का फैसला किया है। इस निर्णय के बाद राज्य की राजनीति में घमासान मच गया है।

भाजपा का कड़ा विरोध, ‘राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान’ बताया

इस फैसले के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कड़ी आपत्ति जताई है। भाजपा नेताओं ने इसे "राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान" करार देते हुए मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन पर तीखा हमला बोला। कई भाजपा नेताओं ने सोशल मीडिया पर इसे "अलगाववादी मानसिकता को बढ़ावा देने वाला कदम" बताया। कुछ नेताओं ने तो मुख्यमंत्री स्टालिन को ‘स्टूपिड’ तक कह दिया।

तमिलनाडु सरकार का तर्क

तमिलनाडु सरकार का कहना है कि यह फैसला राज्य की भाषा और सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करने के लिए लिया गया है। सरकार का मानना है कि तमिल भाषा को बढ़ावा देने और क्षेत्रीय भाषाई गौरव को स्थापित करने के लिए यह परिवर्तन जरूरी था।

विवाद बना सियासी अखाड़ा

हालांकि, विपक्षी दलों, खासकर भाजपा, ने इस कदम को राष्ट्रीय अखंडता के खिलाफ बताया है। पार्टी का कहना है कि तमिलनाडु सरकार क्षेत्रीय पहचान के नाम पर भारतीय प्रतीकों को दरकिनार कर रही है, जिससे देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंच सकता है।

डीएमके सरकार की सफाई

द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) सरकार ने इस विवाद पर सफाई देते हुए कहा कि तमिल भाषा के सम्मान और क्षेत्रीय पहचान को सशक्त करने के लिए यह फैसला लिया गया है। सरकार का दावा है कि इससे राज्य में तमिल भाषा और संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा और इसका कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं है।

क्या होगा आगे?

इस विवाद ने भाषा और राजनीति को एक नया मोड़ दे दिया है। आने वाले दिनों में यह बहस और गरमा सकती है, खासकर जब तमिलनाडु की राजनीति में डीएमके और भाजपा के बीच टकराव पहले से ही चरम पर है। देखना यह होगा कि राज्य सरकार अपने फैसले पर अडिग रहती है या बढ़ते विरोध के बीच कोई नया रास्ता निकालती है।


आपकी राय क्या है? क्या यह फैसला तमिल संस्कृति के संरक्षण के लिए सही कदम है या राष्ट्रीय प्रतीक के साथ छेड़छाड़? नीचे कमेंट करें!

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