तोमर बंधुओं का 'क्राइम सिंडिकेट': फाइनेंस की इनोवा गाड़ियाँ नेपाल में बेचकर बने करोड़पति, पुलिस के लिए बनी चुनौती

Tomar brothers' 'crime syndicate': Finance's Innova cars became millionaires by selling them in Nepal, became a challenge for police तोमर बंधुओं का 'क्राइम सिंडिकेट': फाइनेंस की इनोवा गाड़ियाँ नेपाल में बेचकर बने करोड़पति, पुलिस के लिए बनी चुनौती

Jun 5, 2025 - 12:27
Jun 5, 2025 - 13:56
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तोमर बंधुओं का 'क्राइम सिंडिकेट': फाइनेंस की इनोवा गाड़ियाँ नेपाल में बेचकर बने करोड़पति, पुलिस के लिए बनी चुनौती

तोमर बंधुओं का 'क्राइम सिंडिकेट': फाइनेंस की इनोवा गाड़ियाँ नेपाल में बेचकर बने करोड़पति, पुलिस के लिए बनी चुनौती

रायपुर। छत्तीसगढ़ के आपराधिक जगत में वीरेंद्र तोमर और रोहित तोमर का नाम इन दिनों सुर्खियों में है। बैंक फ्रॉड से लेकर वाहन फाइनेंस घोटाले तक, तोमर बंधुओं का अपराध नेटवर्क इतना गहराया हुआ है कि अब पुलिस और प्रशासन दोनों के लिए इसे तोड़ना एक बड़ी चुनौती बन गया है।

अपराध की शुरुआत: फाइनेंस फ्रॉड का 'बिजनेस मॉडल'

तोमर बंधुओं ने अपराध की शुरुआत विभिन्न बैंकों से गाड़ियाँ—विशेष रूप से इनोवा—फाइनेंस करवाकर की। वे अपने रिश्तेदारों (जिनमें से अधिकांश उत्तर प्रदेश और बिहार के रहने वाले हैं) के नाम पर छत्तीसगढ़ के अलग-अलग बैंकों से लगभग 100 से अधिक इनोवा गाड़ियाँ फाइनेंस कराते थे। फाइनेंस होते ही वे गाड़ियाँ छत्तीसगढ़ से नेपाल भेज दी जाती थीं, जहां उन्हें ऊंचे दामों पर बेच दिया जाता था।

बैंकों को किस्तें लौटाने के बजाय तोमर बंधु गुर्गे छत्तीसगढ़ छोड़कर यूपी और बिहार में शिफ्ट हो जाते थे, जिससे रिकवरी असंभव हो जाती थी। सूत्रों के अनुसार, इस गोरखधंधे में बैंक मैनेजरों की मिलीभगत भी सामने आ रही है, जिन्हें कथित तौर पर कमीशन या हिस्सेदारी दी जाती थी।

नेपाल में कैसे बिकती थीं गाड़ियाँ?

नेपाल में इन गाड़ियों की बिक्री एक संगठित नेटवर्क के माध्यम से की जाती थी। गाड़ी का चेसिस नंबर बदल दिया जाता था या उसे स्क्रैप डीलर के माध्यम से नकली कागजात के साथ बेच दिया जाता था। नेपाली बाजार में इनोवा जैसी गाड़ियों की भारी मांग होने के कारण तोमर बंधुओं को मोटी रकम मिलती थी।

गाड़ियाँ एक बार नेपाल पहुंचती थीं, तो उनका पता लगाना बेहद मुश्किल होता था। यही कारण है कि ज्यादातर गाड़ियाँ आज भी ट्रेस नहीं की जा सकीं। यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संचालित ऑटो-थेफ्ट रैकेट की तरह कार्य करता था।

फाइनेंस पर JCB मशीनें भी भेजीं दूसरे राज्यों में

इस योजना की सफलता के बाद तोमर बंधुओं ने तकरीबन 50 से अधिक जेसीबी मशीनें भी फाइनेंस कराईं और उन्हें अन्य राज्यों में भेज दिया। उनके नाम पर फाइनेंस कराने वाले व्यक्ति अब या तो गायब हैं या छत्तीसगढ़ छोड़ चुके हैं। इस पूरे नेटवर्क में कई परिवारिक सदस्य भी शामिल हैं, जिनके खिलाफ अलग-अलग थानों में FIR दर्ज है।

ब्याज पर पैसा और मनी सर्कुलेशन स्कीम

जो पैसा गाड़ियों की बिक्री से आता था, उसे ब्याज पर 15-20% की दर से लोगों को दिया जाता था। यह पूरा नेटवर्क एक तरह की मनी सर्कुलेशन स्कीम की तरह काम करता था, जहां पुराना पैसा नए निवेशकों से वसूले गए पैसों से चुकाया जाता था।

प्रशासनिक चूक और पुलिस पर सवाल

स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस और प्रशासन की लापरवाही और मिलीभगत के चलते यह पूरा नेटवर्क इतने सालों तक बेखौफ चलता रहा। पुलिस संरक्षण का आरोप भी सामने आया है। हालांकि हाल ही में प्रशासन की दो दिनों की तेज़ कार्रवाई से स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली है।

क्या छत्तीसगढ़ में अपराधियों को संरक्षण मिल रहा है?

आमजन का मानना है कि अगर शुरुआत में ही सख्त कार्रवाई होती तो यह स्थिति नहीं आती। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि अगर यह मामला उत्तर प्रदेश में होता, तो अब तक एनकाउंटर हो चुका होता। छत्तीसगढ़ की सरकार और पुलिस पर लगातार सवाल उठ रहे हैं कि ऐसे अपराधियों को संरक्षण क्यों दिया जा रहा है?

अब क्या? पुलिस की चुनौती और जनता की उम्मीदें

फिलहाल पुलिस ने कई फर्जी दस्तावेज, गाड़ियों की जानकारी और वित्तीय रिकॉर्ड ज़ब्त किए हैं। अब असली चुनौती इन गाड़ियों को ट्रेस करना, नेपाल तक पहुंचे नेटवर्क को ध्वस्त करना और अपराधियों को कानून के शिकंजे में लाना है।

नगर निगम ने तोमर बंधुओं की हवेली गिराने कर रही तैयारी

 प्रशासन ने भी कार्यवाही करने का मन बना लिया है सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार तोमर बांधों के बिना नक्शा पास हवेली को भी गिरने की तैयारी हो रही है और नक्शा किस तरह से पास हुआ है उन तमाम चीजों पर जांच हो रही है अगर सही पाया गया तो तोमर बांधों का घर गिराया जा सकता है यह मॉडल योगी आदित्यनाथ का है अपराधियों को हौसले को पस्त करने के लिए यह कारगर हथियार है

मायने 

वीरेंद्र और रोहित तोमर का यह आपराधिक मॉडल एक सतर्क अपराध माफिया की तरह काम कर रहा था जिसमें परिवार, बैंक कर्मी और बाहरी नेटवर्क शामिल थे। अब जबकि प्रशासन एक्शन मोड में है, देखना यह होगा कि तोमर बंधुओं का अंत कैसे और कब होता है।

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