रायपुर में व्यापारियों पर आफत: नगर निगम ने तोड़ी दुकानें, दुकानदार बोले- अब फांसी ही आखिरी रास्ता!
रायपुर के मौदहापारा इलाके में हाल ही में नगर निगम ने अवैध दुकानों पर बड़ी कार्रवाई की, जिससे व्यापारियों के बीच हड़कंप मच गया है। इस कार्रवाई के दौरान कई दुकानों को तोड़ा गया

📍 रायपुर: रायपुर के मौदहापारा इलाके में नगर निगम द्वारा अवैध दुकानों पर की गई बड़ी कार्रवाई के बाद व्यापारियों में भारी रोष देखने को मिल रहा है। इस अभियान के तहत कई दुकानों को तोड़ा गया, जिससे प्रभावित दुकानदारों में निराशा और आक्रोश है। कुछ व्यापारियों ने अपनी आर्थिक बदहाली का जिक्र करते हुए यहां तक कह दिया कि अब उनके पास आत्महत्या के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।
🏗️ नगर निगम की कार्रवाई का कारण क्या?
नगर निगम का कहना है कि यह कदम शहर को अवैध अतिक्रमण से मुक्त करने और स्वच्छता बनाए रखने के लिए उठाया गया है। प्रशासन के मुताबिक, बढ़ते अतिक्रमण से ट्रैफिक जाम, गंदगी और अव्यवस्था जैसी समस्याएं बढ़ रही थीं, जिसे रोकने के लिए यह कार्रवाई जरूरी थी।
हालांकि, दूसरी ओर दुकानदारों का आरोप है कि उन्हें बिना किसी पूर्व सूचना के उनकी रोजी-रोटी से बेदखल कर दिया गया। उनका कहना है कि यह कार्रवाई अचानक की गई, जिससे उन्हें अपना सामान निकालने तक का मौका नहीं मिला।
😡 व्यापारियों में नाराजगी, क्या कह रहे हैं प्रभावित लोग?
नगर निगम की इस कार्रवाई के बाद स्थानीय व्यापारियों में जबरदस्त गुस्सा देखने को मिल रहा है। कई दुकानदारों ने कहा कि उनकी पूरी आजीविका इस दुकान पर निर्भर थी और अब उन्हें अपने परिवार के भविष्य की चिंता सता रही है।
🗣 एक दुकानदार ने कहा: "हमारा जीवन यापन इसी दुकान से होता था, अब हम क्या करेंगे? हमें कुछ दिन का वक्त तो दिया जाना चाहिए था।"
🗣 दूसरे व्यापारी बोले: "हमारा कोई सहारा नहीं, अब हम कहां जाएंगे?"
⚖️ नगर निगम vs. व्यापारियों का संघर्ष – क्या है समाधान?
यह घटना अब रायपुर शहर में एक बड़ी बहस का रूप ले चुकी है।
✔️ नगर निगम कह रहा है कि अवैध कब्जा हटाना शहर के विकास के लिए जरूरी है।
✔️ व्यापारी कह रहे हैं कि वे सड़क पर आ गए हैं और उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा है।
❓ सवाल उठता है – क्या प्रशासन व्यापारियों के पुनर्वास की कोई योजना बनाएगा?
❓ क्या इन प्रभावित दुकानदारों को कोई मुआवजा या वैकल्पिक जगह दी जाएगी?
इस मामले में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन और व्यापारियों के बीच कोई मध्य मार्ग निकलता है या नहीं।
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