हत्याओं की बढ़ती घटनाएं : जब स्त्रियां भी चुन रही हिंसा का रास्ता, समाज को देना होगा जवाब

Increasing incidents of murder: When women are also choosing the path of violence, society will have to answer हत्याओं की बढ़ती घटनाएं : जब स्त्रियां भी चुन रही हिंसा का रास्ता, समाज को देना होगा जवाब

Jun 12, 2025 - 10:43
Jun 12, 2025 - 10:51
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हत्याओं की बढ़ती घटनाएं : जब स्त्रियां भी चुन रही हिंसा का रास्ता, समाज को देना होगा जवाब

हत्याओं की बढ़ती घटनाएं और हिंसक होती स्त्रियां : समाज को कौन-सा सच बताना चाहती हैं ये घटनाएं?

सवाल24 डेस्क समाज में इन दिनों एक अजीब और खौफनाक सिलसिला तेजी से बढ़ रहा है। जहां पहले घरेलू हिंसा या हत्या की वारदातों में पीड़िता अक्सर महिलाएं होती थीं, वहीं अब कई मामलों में महिलाएं खुद अपराध का रास्ता चुन रही हैं। लगातार सामने आ रही हत्याओं और हिंसक घटनाओं ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर क्यों महिलाएं अब इस तरह के अपराध की ओर बढ़ रही हैं? क्या यह समाज में दबे-कुचले गुस्से का उबाल है, या फिर रिश्तों में बढ़ता अविश्वास और असहिष्णुता?

हाल के मामलों ने हिलाकर रख दिया

पिछले कुछ महीनों में कई राज्यों से ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां महिलाएं न सिर्फ हत्या की आरोपी बनीं, बल्कि अपराध की क्रूरता ने भी हैरान कर दिया। पति की हत्या, प्रेमी के साथ मिलकर साजिश, या आपसी रंजिश में खून — इन घटनाओं ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर समाज में रिश्तों की गरिमा और भरोसे की डोर इतनी कमजोर कैसे हो गई?

छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, झारखंड, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में ऐसी घटनाओं में इजाफा हुआ है। हाल ही में रायपुर में एक महिला ने अपने पति की कुल्हाड़ी से हत्या कर दी। वहीं बिलासपुर में प्रेम प्रसंग के चलते एक युवती ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर परिवार के ही दो लोगों का कत्ल कर दिया।

क्यों बढ़ रही हैं ऐसी घटनाएं?

विशेषज्ञों का मानना है कि समाज में बदलती जीवनशैली, रिश्तों में बढ़ती खटास और सहनशक्ति में गिरावट इसके प्रमुख कारण हैं। सोशल मीडिया का बढ़ता प्रभाव, तात्कालिक गुस्सा, आर्थिक तंगी, असुरक्षा की भावना और मानसिक तनाव भी इन घटनाओं के पीछे की बड़ी वजह है।

मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. सुषमा तिवारी कहती हैं —

"आज महिलाएं आत्मनिर्भर तो हुई हैं, लेकिन कई बार सामाजिक दबाव और अवसाद उन्हें ऐसे अपराध की ओर धकेल रहा है। यह मानसिक स्वास्थ्य की गंभीर समस्या का संकेत है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।"

समाज को देना होगा जवाब

ऐसे मामलों के सामने आने के बाद समाज और प्रशासन दोनों को यह समझना होगा कि अपराध केवल पुरुषप्रधान मानसिकता का परिणाम नहीं है। जब तक रिश्तों में संवाद नहीं बढ़ेगा और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता नहीं आएगी, तब तक इस तरह की घटनाएं रुकने वाली नहीं हैं।

साथ ही, इन घटनाओं को सिर्फ अपराध के नजरिए से नहीं बल्कि सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तन के रूप में भी देखना होगा। कहीं न कहीं यह घटनाएं समाज के भीतर की घुटन, असंतोष और टूटते रिश्तों की कहानी बयां कर रही हैं।

जरूरत है सजग और संवेदनशील समाज की

विशेषज्ञों का कहना है कि समाज में एक ऐसी व्यवस्था बनानी होगी, जहां महिलाएं अपनी समस्याओं को खुलकर साझा कर सकें। साथ ही, घरेलू कलह और रिश्तों में उपज रही कड़वाहट को समय रहते सुलझाने का प्रयास किया जाए।

सरकार और प्रशासन को भी मानसिक स्वास्थ्य सुविधाओं को सुलभ बनाना होगा और पारिवारिक परामर्श केंद्रों को सक्रिय करना होगा। तभी इस बढ़ती हिंसा पर रोक लगाई जा सकेगी और समाज में फिर से भरोसे की फिजा कायम होगी।

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