शराब सिंडिकेट घोटाला: 30 अफसरों पर गिरी गाज, EOW ने मांगी मुकदमे की मंजूरी"

Apr 13, 2025 - 12:33
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शराब सिंडिकेट घोटाला: 30 अफसरों पर गिरी गाज, EOW ने मांगी मुकदमे की मंजूरी"

छत्तीसगढ़ में शराब कारोबार से जुड़ा अब तक का सबसे बड़ा घोटाला उजागर हुआ है। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने राज्य के 30 वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ दो नंबर की शराब बेचने के मामले में कार्रवाई की सिफारिश करते हुए अभियोजन की स्वीकृति मांगी है। यह मामला 2800 करोड़ रुपये के कथित वित्तीय घोटाले से जुड़ा हुआ है, जिसमें सरकारी शराब दुकानों के जरिए अवैध शराब को वैध तरीके से बेचा गया।

क्या है मामला?

यह घोटाला उस वक्त सामने आया जब EOW को लगातार शिकायतें मिलने लगीं कि प्रदेश की कई सरकारी शराब दुकानों में दो नंबर की शराब की बिक्री बड़े पैमाने पर हो रही है। जांच के दौरान यह बात सामने आई कि शराब की बोतलों में एक जैसे होलोग्राम बार-बार इस्तेमाल किए जा रहे थे, जिससे नकली शराब को असली दिखाकर बाजार में उतारा गया।

इस पूरी प्रक्रिया को एक संगठित नेटवर्क द्वारा अंजाम दिया गया, जिसमें विभागीय अधिकारी, ठेकेदार और बिचौलिए सभी शामिल थे। इस नेटवर्क को EOW ने ‘शराब सिंडिकेट’ नाम दिया है, जिसने वर्षों तक राज्य को करोड़ों का चूना लगाया।

कैसे हुआ खुलासा?

EOW ने इस पूरे सिंडिकेट की बारीकी से जांच की। जांच के दौरान कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए:

शराब दुकानों पर सीरियल नंबर दोहराए गए होलोग्राम का उपयोग किया गया।

कंप्यूटर सिस्टम में जानबूझकर गड़बड़ी करके फर्जी एंट्री की जाती थी।

दो नंबर की शराब को सरकारी रिकॉर्ड में वैध दिखाया जाता था।

पूरे राज्य में एक जैसी तकनीक और प्रक्रिया अपनाई जा रही थी।

EOW ने इन सब तथ्यों को ध्यान में रखते हुए 30 अफसरों की सूची तैयार की है जिन पर मुकदमा चलाने की सिफारिश की गई है।

किन अफसरों पर गिरी गाज?

एफआईआर में जिन अधिकारियों के नाम शामिल किए गए हैं, वे सभी आबकारी विभाग में अहम पदों पर रहे हैं। इन अधिकारियों में सहायक आयुक्त, उपनिरीक्षक, लेखाधिकारी, स्टोर कीपर और अन्य कर्मचारी शामिल हैं। कुछ प्रमुख नाम हैं:

जर्नादन द्विवेदी – सहायक आयुक्त

सौरभ बक्शी – सहायक आयुक्त

जितेंद्र तिवारी – उपनिरीक्षक

अविनाश दुबे – लेखाधिकारी

अरुण सिंह – स्टोर कीपर

नवीन ठाकुर, रितेश अग्रवाल, विशाल मिश्रा, शैलेन्द्र सिंह, नीरज चंद्राकर समेत अन्य अधिकारी

सूत्रों के अनुसार, EOW की सूची में करीब 40 अधिकारियों के नाम हैं, जिनमें से 30 के खिलाफ मुकदमे की सिफारिश की गई है, और अन्य के खिलाफ जांच जारी है।

फंसे अफसरों का तर्क: सिस्टम की गलती थी!

जांच के दौरान कई अफसरों ने बयान दिया कि यह गलती जानबूझकर नहीं हुई, बल्कि सिस्टम की तकनीकी खामी के कारण ऐसा हुआ। उनका दावा है कि ERP सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी होने के कारण एक जैसे होलोग्राम बार-बार छपते रहे, जिसकी जानकारी उन्हें बाद में हुई।

हालांकि, EOW ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि इतनी बड़ी मात्रा में दो नंबर की शराब की सप्लाई बिना विभागीय मिलीभगत के संभव ही नहीं थी।

एक लाइजनर की भूमिका भी आई सामने

जांच में एक शराब ठेका एजेंट (लाइजनर) की भूमिका भी सामने आई है, जिसने खुलासा किया कि वह अधिकारियों को नियमित कमीशन देता था ताकि नकली शराब की खेप सरकारी दुकानों के जरिए बेची जा सके। उसने बताया कि कई बार शराब की पैकिंग, होलोग्राम और बिलिंग में जानबूझकर फेरबदल किया गया ताकि रिकॉर्ड में कोई गड़बड़ी न दिखे।

EOW ने भेजी है फाइल, अब गेंद सरकार के पाले में

EOW ने पूरी जांच के बाद यह फाइल वाणिज्यिक कर विभाग को भेज दी है, जिससे इन अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की अनुमति मिल सके। अनुमति मिलते ही FIR दर्ज कर मुकदमा शुरू किया जाएगा।

यदि यह मामला न्यायिक प्रक्रिया में साबित होता है, तो यह छत्तीसगढ़ के इतिहास में प्रशासनिक भ्रष्टाचार से जुड़ा सबसे बड़ा मामला बन सकता है।

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