छत्तीसगढ़ में सत्ता बदली, मगर सिस्टम वही! कांग्रेस शासनकाल के दागी अफसर फिर बना रहे नई बिसात
The government has changed in Chhattisgarh, but the system is the same! The tainted officers of the Congress regime are again preparing a new strategy छत्तीसगढ़ में सत्ता बदली, मगर सिस्टम वही! कांग्रेस शासनकाल के दागी अफसर फिर बना रहे नई बिसात

छत्तीसगढ़ में सत्ता बदली, मगर सिस्टम वही! कांग्रेस शासनकाल के दागी अफसर फिर बना रहे नई बिसात
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजनीति में इन दिनों एक बार फिर चर्चाओं का बाजार गर्म है। सत्ता परिवर्तन के बाद भी राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था में वह पुराना खेल बदस्तूर जारी है, जिसे कांग्रेस शासनकाल में लेकर भारतीय जनता पार्टी ने सड़कों पर विरोध किया था। अब वही दागी अफसर फिर से नए सिरे से सक्रिय हो गए हैं, और सत्ता की सरपरस्ती में नई कुर्सियों की बिसात बिछाई जा रही है।
भूपेश बघेल के समय की थी वसूली की खुली छूट
कांग्रेस शासनकाल में भूपेश बघेल के नेतृत्व में जिन अधिकारियों पर भ्रष्टाचार, वसूली और राजनीतिक संरक्षण के आरोप लगे थे, वे अब भाजपा सरकार में भी अपने लिए नई जमीन तैयार कर रहे हैं। उस समय आईएएस समीर विश्नोई, रानू साहू, अनिल टुटेजा, टामन सिंह सोनवानी, निरंजन दास जैसे अफसरों के नाम चर्चाओं में रहे। वहीं पुलिस महकमे में भी एक दागी अधिकारी ने अपनी पकड़ से सत्ता के गलियारों में दहशत बना रखी थी।
सूत्रों के अनुसार यही अधिकारी कांग्रेस राज में वसूली का नेटवर्क संभालते थे और पत्रकारों व भाजपा नेताओं पर झूठे केस बनवाकर दबाव बनाते थे। यही नहीं, कबाड़ी कारोबार, रेत माफिया, ट्रांसपोर्ट सिंडिकेट से लेकर अवैध कारोबार तक इनका संरक्षण रहा।
अब भाजपा राज में हो रहा पुनर्वास!
भाजपा की सरकार बनने के बाद उम्मीद थी कि इन अफसरों पर सख्त कार्रवाई होगी। शुरुआत में कुछ हलचल भी हुई। लेकिन अब खबरें आ रही हैं कि वही दागी अफसर, जो कांग्रेस काल में मलाई काट चुके हैं, उन्हें फिर से महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों में बैठाया जा रहा है।
सबसे बड़ा नाम अभिषेक माहेश्वरी का है, जिसकी पोस्टिंग को लेकर पिछले एक साल से चर्चाएं चल रही हैं। बताया जा रहा है कि अब उन्हें बालोद या रायपुर के आसपास किसी जिले का एसपी बनाने की तैयारी है। खास बात ये है कि सरकार के मंत्री और कुछ आईजी रैंक के अफसर भी इस नियुक्ति को लेकर जोरशोर से लॉबिंग कर रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो संगठन के भीतर भी कुछ प्रभावशाली बिल्डर और कारोबारी इनके बड़े समर्थक माने जाते हैं। पिछले साल भी इसी अफसर के प्रमोशन की चर्चा एकात्म परिसर तक पहुंच गई थी, लेकिन भारी विरोध के चलते मामला दबा दिया गया।
भाजपा के नेता और जनता को गुमराह कर रहे अफसर
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की साफ-सुथरी छवि के बावजूद उनके आसपास के अफसर उन्हें गुमराह कर रहे हैं। जिन अफसरों के खिलाफ भाजपा ने सत्ता में आने से पहले जमकर मोर्चा खोला था, वे अब फिर से सत्ताधारी खेमे में अपनी जगह मजबूत कर रहे हैं।
सूत्र बता रहे हैं कि विक्रम राही जैसे अफसर का ट्रांसफर तो हुआ, लेकिन उन्हें अब तक रिलीव नहीं किया गया है। मतलब साफ है — कहीं न कहीं कोई बड़ा खेल जारी है।
भाजपा को चेतने की ज़रूरत
छत्तीसगढ़ में जिस तरह से सत्ता बदलने के बाद भी वही पुराने चेहरे फिर से सरकारी मशीनरी पर काबिज हो रहे हैं, उसने भाजपा समर्थकों और प्रदेश की जनता को चिंतित कर दिया है। लोग सवाल कर रहे हैं कि जिन अधिकारियों को सबक सिखाने की बात कही गई थी, अब वही भाजपा सरकार में संरक्षण पा रहे हैं।
अगर समय रहते भाजपा के बड़े नेता और वरिष्ठ पदाधिकारी सतर्क नहीं हुए, तो स्थिति वही हो सकती है जो भूपेश बघेल सरकार के अंतिम वर्षों में थी। क्योंकि छत्तीसगढ़ की जनता ने जिस भरोसे से सत्ता सौंपी है, उस पर आंच आई तो इसका असर दिल्ली तक जाएगा।
निष्कर्ष : खतरे की घंटी बज चुकी है
छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार के लिए यह खतरे की घंटी है। सत्ता परिवर्तन का असल मतलब तभी होगा जब प्रशासन से भ्रष्टाचार, दलाली और वसूली का नेटवर्क पूरी तरह खत्म हो। नहीं तो कांग्रेस काल के भ्रष्ट अधिकारी भाजपा राज में भी वहीं खेल खेलेंगे और इसका खामियाजा पार्टी और उसकी सरकार को भुगतना पड़ेगा।
जनता देख रही है — और पूछेगी भी।
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