रायपुर | केंद्र सरकार की बहुप्रतीक्षित भारतमाला प्रोजेक्ट अब भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरती नजर आ रही है। छत्तीसगढ़ सरकार ने इस मामले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) से जाँच कराने का फैसला लिया है। इस महत्वपूर्ण निर्णय की घोषणा राज्य सरकार की कैबिनेट बैठक के बाद की गई, जहाँ इस मामले में गंभीर अनियमितताओं की आशंका जताई गई।
क्या है भारतमाला प्रोजेक्ट और क्यों हो रही है जाँच?
भारतमाला प्रोजेक्ट देशभर में राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास के लिए एक मेगा प्रोजेक्ट है, जिसके तहत हाईवे निर्माण को प्राथमिकता दी गई थी। लेकिन अब इस परियोजना पर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लग रहे हैं। छत्तीसगढ़ में इस योजना के तहत कई परियोजनाओं में गड़बड़ियों की शिकायतें सामने आई थीं, जिसके बाद राज्य सरकार ने EOW को जाँच सौंपने का निर्णय लिया।
कैबिनेट बैठक में और क्या फैसले लिए गए?
इस बैठक में केवल भारतमाला प्रोजेक्ट की जाँच ही नहीं, बल्कि सरेंडर करने वाले नक्सलियों को आर्थिक सहायता देने और एक विशेष फैलोशिप योजना शुरू करने का भी निर्णय लिया गया है। सरकार का मानना है कि यह पहल नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आत्मसमर्पण की प्रवृत्ति को बढ़ावा देगी और मुख्यधारा में शामिल होने वालों को वित्तीय मदद मिलेगी।
भ्रष्टाचार पर सरकार का रुख सख्त
छत्तीसगढ़ सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राज्य में भ्रष्टाचार किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भारतमाला प्रोजेक्ट से जुड़े निर्माण कार्यों और टेंडर आवंटन की पूरी जाँच होगी, और यदि किसी भी अधिकारी या ठेकेदार की संलिप्तता पाई जाती है, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
क्या बोले विशेषज्ञ?
इस मामले पर विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सही तरीके से जाँच हुई, तो यह देशभर में चल रहे अन्य बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए एक मिसाल बन सकता है। वहीं, विपक्ष ने इस जाँच को लेकर केंद्र और राज्य सरकार की भूमिका पर सवाल उठाए हैं और निष्पक्ष जाँच की माँग की है।
आगे क्या होगा?
अब सबकी निगाहें EOW की जाँच रिपोर्ट पर टिकी हैं। क्या यह भ्रष्टाचार के दावों को सही साबित करेगी, या फिर यह सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा बनकर रह जाएगा? यह आने वाले दिनों में साफ हो जाएगा।